जिहाल-ए-मस्ती मकुन-ब-रन्जिश SHARE FacebookTwitter जिहाल-ए-मस्ती मकुन-ब-रन्जिश, बहाल -ए-हिज्र बेचारा दिल है! फिल्म गुलामी (1985) के इस गाने का आज तक मतलब समझ ना आने के बावजूद भी सुन रहे हो ना... तो #budget2021 से क्या तकलीफ है? ~ निर्मला सीतारमण SHARE FacebookTwitter